खड़ा हिमालय बता रहा है
डरो न आंधी पानी में
खड़े रहो तुम अविचल होकर
सब संकट तूफानी में |
डिगो न अपने प्राण से , तो तुम
सब कुछ पासकते हो प्यारे,
तुम भी ऊँचे उठ सकते हो
छू सकते हो नभ के तारे |
अचल रहा जो अपने पथ पर
लाख मुसीबत आने में,
मिली सफलता जग में उसको
जीने में मर जाने में |
डरो न आंधी पानी में
खड़े रहो तुम अविचल होकर
सब संकट तूफानी में |
डिगो न अपने प्राण से , तो तुम
सब कुछ पासकते हो प्यारे,
तुम भी ऊँचे उठ सकते हो
छू सकते हो नभ के तारे |
अचल रहा जो अपने पथ पर
लाख मुसीबत आने में,
मिली सफलता जग में उसको
जीने में मर जाने में |